NCERT क्या निराश हुआ जाए chapter 5 class 8th QUESTION ANSWER
आपके विचार से
1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
उत्तर. लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने धोखा भी खाया है। क्योंकि लेखक एक आशावादी व्यक्ति है। उनके साथ कई निराशावादी घटनाएँ हुई है, पर कुछ आशावादी और अच्छी घटनाएँ भी हुई है उनका मानना है की अगर सुखद जीवन जीना है तो हमें अच्छी और आशावादी चीज़ों को याद रखना चाहिए।
2. समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।
उत्तर . (I). अड़चनें भी डिगा नहीं पाईं शिक्षिका का हौसला सहयोगियों का मिला भरपूर सहयोग जहाँ एक ओर शिक्षा का व्यापार करके लोग रात- दिन अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो तमाम अड़चनों के बावजूद मानसिक व शारीरिक रूप से असहाय बच्चों की सेवा करते हुए उनके जीवन में ज्ञान की रोशनी फैला रहे हैं।
(2). गरीब बच्चों के लिए समर्पित जीवन – नोएडा के सेक्टर-12 में पिछले 19 वर्षों से एक महिला शिक्षक अनाथ व गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैशिक्षा देने वाली इस महिला ने बच्चों की खातिर अपना घर तक नहीं बसायाहर साल यहाँ पर आने वाले अनाथ बच्चों को साक्षर बनाना उनके जीवन का उद्देश्य बन गया।
3. लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।
उत्तर. समाचार-पत्रों में नकारात्मक घटनाओं-हिंसा, लूट, मार-पीट आदि की घटनाओं को प्रमुखता तथा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है इन समाचार-पत्रों में किसी की निःस्वार्थ भलाई करने की घटनाएँ कभी-कभी ही छपती हैं ऐसा नहीं कि समाज में ऐसी घटनाएँ घटती ही नहीं है।
पर्दाफ़ाश
1. दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर. दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है या जब हमारे ऐसा करने से वे लोग उग्र रूप धारण कर किसी को हानि पहुँचाए।
2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?
उत्तर. टीवी चैनल व समाचार पत्रों द्वारा जो ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ किया जा रहा है वो पहले किसी सीमा तक सही हुआ करता था। परन्तु, आज टीवी चैनलों और समाचार पत्रों की भरमार के कारण उनके बीच में जनमें श्रेष्ठ दिखाने की होड़ ने इसे धंधा बना दिया है। इससे लोग दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ़ से दोषारोपण आरम्भ कर देते हैं। इस बात को तनिक भी नहीं सोचते कि इससे किसी के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है।
कारण बताइए—
निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे- “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
1. “सचाई केवल भौर और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। “..
2. “झूठ और फरेब का रोजगार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।
3. हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम। “
उत्तर. 1. “सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।”.. लोगों स्वार्थी बनेंगे
2. “झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। ” अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का अहित करेंगे
3. “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम। ” लोगों में अविश्वास की भावना बढ़ेगी।
दो लेखक और बस यात्रा
आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते ? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए। छात्र स्वयं करें
सार्थक शीर्षक
1. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर. लेखक ने इस लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ उचित रखा है क्योंकि यह उस सत्य को उजागर करता है जो हम अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। अगर हम एक-दो बार धोखा खाने पर यही सोचते रहें कि इस संसार में ईमानदार लोगों की कमी हो गयी है तो यह सही नहीं होगा। यही कारण है कि लेखक कहता है “ठगा में भी गया हूँ, धोखा मैनें भी खाया है। परन्तु ऐसी घटनाएँ भी मिल जाती हैं जब लोगों ने अकारण ही सहायता भी की है, जिससे मैं अपने को ढांढस देता हूँ।”इसका अन्य शीर्षक ‘निराशा से आशा’ भी रख सकते हैं
2. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए?
उत्तर क्या निराश हआ जाए’ के बाद मैं प्रश्न चिन्ह ‘क्या निराश हुआ जाए?’ लगाना उचित समझता हूँ। समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच रहते हुए भी जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टि जरूरी है।
3.” आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर. “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” – मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शों की राह पर चलता है तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है।
भाषा की बात
1. आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।
(I). दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है- द्वंद्व समास । इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम परम, भीरु और बेबस भीरु- बेबस दिन और रात = दिन-रात । = ‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
1. भूख और प्यास — भूख-प्यास
2. हँसना और रोना — हँसना-रोना
3. आते और जाते —- आते-जाते
4. राजा और रानी — राजा-रानी
5. चाचा और चाची —- चाचा-चाची
6. सच्चा और झूठा —- सच्चा- झूठा
7. पाना और खोना पाना —- खोना
8. पाप और पुण्य —- पाप-पुण्य
9. स्त्री और पुरुष — स्त्री-पुरुष
10. राम और सीता —- राम-सीता
2. पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
1. व्यक्तिवाचक संज्ञाः रबींद्रनाथ टैगोर, मदनमोहन मालवीय, महात्मा गाँधी आदि ।
जातिवाचक संज्ञाः बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कं
डक्टर, हिन्दू, मुस्लिम, पति पत्नि आदि ।
भाववाचक संज्ञाः ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।
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